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28 Jun 2019 · 1 min read

बने सहारा , बेसहरों के

है भरे पूरे
परिवार का मुखिया
होनी थी जहाँ
खुशियाँ ही खुशियाँ
आज क्यों वो उदास है
आँखो में आँसू है
है बड़ा दुखियारा वो

उठने थे हाथ
आशीर्वाद के लिए
क्यो मोहताज हैं
पाने किसी का साथ वो

है साथ ईश्वर उनके
जो बने सहारा बुजुर्गों के
फले फूले खुश रहे
जो है सहारा बेसहारो के

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 179 Views
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