बने महब्बत में आह आँसू
बने महब्बत में आह आँसू
मिले मुझे बेपनाह आँसू
कहाँ गई नींद हाय मेरी
उठे विरह में कराह आँसू
तड़प उठा जो ये दिल तो बोला
दिखा दे कोई तो राह आँसू
थीं पाक उल्फ़त में जो ख़ताऐं
हज़ार धोते गुनाह आँसू
थे होंठ ख़ामोश यार जब
सदा बने हैं निगाह आँसू
मिली अमीरों से बेवफ़ाई
बने फ़क़ीरी में चाह आँसू
–महावीर उत्तरांचली