बनेगा जीवन सुंदर
सुंदर दोहे मित्रवर,
लिखते रहिए आप ।
बाण बनाओ लेखनी,
अरु क़ागज़ को चाप ।।
अरु क़ागज़ को चाप,
जाप उर होय निरंतर ।
शब्दों से रच देव,
नया फिर कोई मंतर ।।
कह दीपक कविराय,
दुखी मत होना अंदर ।
तपकर कुंदन होय,
बनेगा जीवन सुंदर ।।