बना कावड पिताजी मैं तुम्हें
बना कावड पिताजी मैं तुम्हें उसमें बिठाऊंगा
उठा कंधे पर मैं अपने तुम्हें तीर्थ कराऊंगा
यही है फर्ज बेटे का यही बस काम बाकी है
मुझे अब कुछ नहीं चाहिए तुम्हें ज्योति दिलाऊंगा
नहीं परवाह है मरने की नहीं डरता मुश्किल से
लगा दू जान की बाजी इसे दिल से निभाऊंगा
कहे बलदेव रहूंगा मैं भूखा और प्यास भी
किया है प्रण मैंने जो इसे पूरा निभाऊंगा