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18 May 2024 · 1 min read

बना कावड पिताजी मैं तुम्हें

बना कावड पिताजी मैं तुम्हें उसमें बिठाऊंगा
उठा कंधे पर मैं अपने तुम्हें तीर्थ कराऊंगा

यही है फर्ज बेटे का यही बस काम बाकी है
मुझे अब कुछ नहीं चाहिए तुम्हें ज्योति दिलाऊंगा

नहीं परवाह है मरने की नहीं डरता मुश्किल से
लगा दू जान की बाजी इसे दिल से निभाऊंगा

कहे बलदेव रहूंगा मैं भूखा और प्यास भी
किया है प्रण मैंने जो इसे पूरा निभाऊंगा

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