बनावट
बनावट की है दुनिया,यहां बस तमाशा कीजिए
अच्छे इंसा नही तो क्या, अदाकारी अच्छी कीजिए
लगाकर सजीला मुखौटा,बदरंग चेहरा छुपा लीजिए
सच से नही सरोकार,जितना जी चाहे झूठ बोल लीजिए
उजला हुआ मन तो लानते मिलेगीं
मन काला रखकर पुरस्कार पा लीजिए
प्रेम ,ममता ,मित्रता अनमोल है मगर
अपने स्वार्थ की खातिर इनको छोड दीजिए
रिश्तो की है परवाह ,उनका मान भी बहुत है
पर अपने सुखो की खातिर दूजो को दुख दीजिए
कह रही है प्रीति हकीकत ये जहां की
जो यकीं न आये तो खुद जांच लीजिए