बनाया था आसियाना मैंने,
बनाया था आसियाना मैंने,
तिनके जोड़कर उम्मीदों के।
कुचलकर चल दिए तुम तो,
जो मानों गैर होंगे हम।
नहीं बिखरा घरोंदा सिर्फ मेरा हैं,
तेरे सपने संजोकर मैंने इसमें ही रखें थे।
श्याम सांवरा…
बनाया था आसियाना मैंने,
तिनके जोड़कर उम्मीदों के।
कुचलकर चल दिए तुम तो,
जो मानों गैर होंगे हम।
नहीं बिखरा घरोंदा सिर्फ मेरा हैं,
तेरे सपने संजोकर मैंने इसमें ही रखें थे।
श्याम सांवरा…