बनवारी (मत्तगयंद छंद सवैया)
गोकुल ग्राम सजै जब केशव बाँसुरिया धुन बाजत प्यारी
संग सखी सब नाचत ग्वालिन दर्श दिखावत हैं बनवारी
ग्वाल सखा सब केशव संगहि माखन खावन गागर ढारी
देखत टूटन गागरि केशव मारन खोजत हैं महतारी I
गोकुल ग्राम सजै जब केशव बाँसुरिया धुन बाजत प्यारी
संग सखी सब नाचत ग्वालिन दर्श दिखावत हैं बनवारी
ग्वाल सखा सब केशव संगहि माखन खावन गागर ढारी
देखत टूटन गागरि केशव मारन खोजत हैं महतारी I