Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2019 · 1 min read

बनते बिगड़ते राजनीति

उन पर क्‍या विश्‍वास करें
जिन्‍हें है अपने पर विश्‍वास नहीं
वे क्‍या दिशा दिखाएँगे
दिखता जिनको आकाश नहीं

जिले की राजनीति में
बहुत बड़ी शतरंज बिछी
धब्‍बोंवाली चादर थी जिसकी
कटी, फटी, टेढ़ी, तिरछी
ऐन वक्त चादर चमक उठी

चाल वही, संकल्‍प वही
स्वागत में नकाब ओढ़े पट्टा लगाये
सारे के सारे रंगदार,
चौकीदार बन खड़े मिले

एक बाँझ वर्जित प्रदेश में
बहने लगी थी विकास की अविरल धारा
भटक गया लाचार कारवाँ
लुटा-पिटा दर-दर मारा
बिक्री को तैयार खड़ा
हर दरवाजे झुकनेवाला
अदल-बदल कर पहन रहा है
खोटे सिक्‍कों की माला

इन्‍हें सबसे ज़्यादा दुख का है कोई अहसास नहीं
अपनी सुख-‍सुविधा के आगे, कोई और तलाश नहीं

ख़त्‍म हुई पहचान सभी की
अजब वक़्त यह आया है
सत्‍य-झूठ का व्‍यर्थ झमेला
सबने मिल खूब मिटाया है
जातिवाद का ज़हर जिस किसी ने
घर-घर में फैलाया है
नारे लगाने हिदुत्व का
भगवा लहराने आया है।

उठ रही हैं तूफ़ानी लहरें, किनारे को ही आभास नहीं
नारे में भले आप सूर्य है चांद है
असल मे कोई प्रकाश नही।।

Language: Hindi
1 Like · 354 Views

You may also like these posts

उमराव जान
उमराव जान
Shweta Soni
माता सरस्वती
माता सरस्वती
Rambali Mishra
*नियति*
*नियति*
Harminder Kaur
रोला छंद :-
रोला छंद :-
sushil sarna
परनिंदा या चुगलखोरी अथवा पीठ पीछे नकारात्मक टिप्पणी किसी भी
परनिंदा या चुगलखोरी अथवा पीठ पीछे नकारात्मक टिप्पणी किसी भी
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
रिश्तों में पड़ी सिलवटें
रिश्तों में पड़ी सिलवटें
Surinder blackpen
दिल का हर वे घाव
दिल का हर वे घाव
RAMESH SHARMA
कविता
कविता
Sonu sugandh
"कलम की अभिलाषा"
Yogendra Chaturwedi
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
अल्फाज़
अल्फाज़
हिमांशु Kulshrestha
ये कैसी विजयादशमी
ये कैसी विजयादशमी
Sudhir srivastava
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
मुस्कुराहट के ज़ख्म
मुस्कुराहट के ज़ख्म
Dr fauzia Naseem shad
"क्या करूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
सुभाष चंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस
Neerja Sharma
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
बहन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य ही नहीं बल्कि धर्म भी है, पर
बहन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य ही नहीं बल्कि धर्म भी है, पर
जय लगन कुमार हैप्पी
Tum toote ho itne aik rishte ke toot jaane par
Tum toote ho itne aik rishte ke toot jaane par
HEBA
अंधभक्ति
अंधभक्ति
मनोज कर्ण
धरोहर
धरोहर
Karuna Bhalla
अजब गजब
अजब गजब
Akash Yadav
11. एक उम्र
11. एक उम्र
Rajeev Dutta
हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा।
हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
शेखर सिंह
कविता ---- बहते जा
कविता ---- बहते जा
Mahendra Narayan
3312.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3312.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
- उम्मीद अभी भी है -
- उम्मीद अभी भी है -
bharat gehlot
जब एक शख्स लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गव
जब एक शख्स लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गव
Rituraj shivem verma
धड़का करो
धड़का करो
©️ दामिनी नारायण सिंह
Loading...