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11 Feb 2024 · 1 min read

बदसलूकी

मेरे कमरे की खिड़कियों के
सारे शीशे टूट गये
मेरे घर के बगीचे में लगे
सारे पेड़ों के फूल झड़
गये
मेरे ख्वाब मुझे
रात को
नींद में न मिले
मेरे लब खामोश रहे
यह न गुलाब की कलियों
से खिले
मेरे मन के द्वार न
सुबह का सूरज उगा
न किसी ने दस्तक दी
न कोई आहट
न शोर हुआ
मेरी गली में न कोई
हलचल हुई
मेरी तरफ न किसी की
मदद का हाथ उठा
मेरी तरफ न किसी की
प्यार भरी नजर पड़ी
मुझे न किसी ने
गर्मजोशी से अपने
आगोश में भरा
मेरे ऊपर ही सारी
आंधियों का कहर टूटा
दुनिया के वही
रस्मो रिवाज
शिकवे शिकायत
मेरे साथ बदस्तूर
बदसलूकी की कुछ ऐसे
जैसे मेरी वजह से
किसी के अजीज का
उसके घर से जनाजा उठा।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
59 Views
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