बदल रही है ज़िंदगी
चल रही है ज़िंदगी
बदल रही है ज़िंदगी…
नाचने को इश्क़ में
मचल रही है ज़िंदगी…
ठोकरों से मौत की
संभल रही ज़िंदगी…
कभी दर्द-कभी चैन से
बहल रही है ज़िंदगी…
कातिलों की क़ैद से
निकल रही है ज़िंदगी…
साथ में तन्हाई के
टहल रही है ज़िंदगी…
मुफलिसी की आग में
जल रही है ज़िंदगी…
मोमबत्ती की तरह
पिघल रही है ज़िंदगी…
सांचे में हालात के
ढल रही है ज़िंदगी….
मासूमों की चीख से
दहल रही है ज़िंदगी…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#bollywood #sahirludhianvi
#BestLyricist #सर्वश्रेष्ठगीतकार