Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2024 · 1 min read

बदल चुका क्या समय का लय?

ये बात कही और नही,
खास बहुत थे करीब तुम,
विश्वास नहीं था होगा क्या ?
ये समय का फेर-बदल ,
निकट जो था ?
दो गज़ दूरी पर,
क्या ना था अब दूर सजग था ?

चाह वही थी,राह वही थी,
अपनापन खोया है क्या ?
आँखों ने रोया,
समय चक्र ने जाल बुन रोका,
आँखों के समक्ष रखा धोखा,
छु ना सका, छु ना सका ,
बंधन मन का क्यो बांध है रखा ?

संग संग हसते ,
प्राणो में बसते थे,
बात क्या हुआ ?
कह भी ना सका,
समय ने मारा उसको भी और मुझको भी,
समझ ना सका दूरी की वजह,
क्या ना था तब ? क्या ना बचा अब?

बदल गया क्या ?
रूप तो वही था ,
अगल में तुम थे, बगल में मै था ,
मध्य हमारे बैठा कौन था ?
तुझमे क्या मै अब ?
या मुझमे मै ?
निकट होते हुए चुप था कौन ?
बदल चुका क्या समय का लय?

रचनाकार –
बुध्द प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।

3 Likes · 148 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all
You may also like:
बस यूँ ही...
बस यूँ ही...
Neelam Sharma
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
Anand Kumar
15--🌸जानेवाले 🌸
15--🌸जानेवाले 🌸
Mahima shukla
"Appreciate the efforts. When someone is giving their all to
पूर्वार्थ
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मैं लिखता हूँ
मैं लिखता हूँ
DrLakshman Jha Parimal
जीवन शोकगीत है
जीवन शोकगीत है
इशरत हिदायत ख़ान
बंद मुट्ठियों को खुलने तो दो...!
बंद मुट्ठियों को खुलने तो दो...!
singh kunwar sarvendra vikram
खुदा ने इंसान बनाया
खुदा ने इंसान बनाया
shabina. Naaz
क्यों सिसकियों में आवाज को
क्यों सिसकियों में आवाज को
Sunil Maheshwari
ज़िंदगी क्या है ?
ज़िंदगी क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
*नमन गुरुवर की छाया (कुंडलिया)*
*नमन गुरुवर की छाया (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"अबूझमाड़िया"
Dr. Kishan tandon kranti
रात स्वप्न में दादी आई।
रात स्वप्न में दादी आई।
Vedha Singh
सूखा पेड़
सूखा पेड़
Juhi Grover
2776. *पूर्णिका*
2776. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक अधूरी सी दास्तान मिलेगी, जिसकी अनकही में तुम खो जाओगे।
एक अधूरी सी दास्तान मिलेगी, जिसकी अनकही में तुम खो जाओगे।
Manisha Manjari
जिंदगी तेरे सफर में क्या-कुछ ना रह गया
जिंदगी तेरे सफर में क्या-कुछ ना रह गया
VINOD CHAUHAN
55४ बां प़काश पर्व गुरु नानक देव जी का जन्म दिन
55४ बां प़काश पर्व गुरु नानक देव जी का जन्म दिन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
होलिका दहन
होलिका दहन
Bodhisatva kastooriya
दो शे'र ( मतला और इक शे'र )
दो शे'र ( मतला और इक शे'र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
अंधकार जो छंट गया
अंधकार जो छंट गया
Mahender Singh
अनजान राहें अनजान पथिक
अनजान राहें अनजान पथिक
SATPAL CHAUHAN
यूं तेरी आदत सी हो गई है अब मुझे,
यूं तेरी आदत सी हो गई है अब मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
..
..
*प्रणय*
*साथ निभाना साथिया*
*साथ निभाना साथिया*
Harminder Kaur
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
Ravikesh Jha
कुछ लोग मुझे इतना जानते है की मैं भी हैरान हूँ ।
कुछ लोग मुझे इतना जानते है की मैं भी हैरान हूँ ।
Ashwini sharma
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
ओसमणी साहू 'ओश'
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
'अशांत' शेखर
Loading...