बदल चुका क्या समय का लय?
ये बात कही और नही,
खास बहुत थे करीब तुम,
विश्वास नहीं था होगा क्या ?
ये समय का फेर-बदल ,
निकट जो था ?
दो गज़ दूरी पर,
क्या ना था अब दूर सजग था ?
चाह वही थी,राह वही थी,
अपनापन खोया है क्या ?
आँखों ने रोया,
समय चक्र ने जाल बुन रोका,
आँखों के समक्ष रखा धोखा,
छु ना सका, छु ना सका ,
बंधन मन का क्यो बांध है रखा ?
संग संग हसते ,
प्राणो में बसते थे,
बात क्या हुआ ?
कह भी ना सका,
समय ने मारा उसको भी और मुझको भी,
समझ ना सका दूरी की वजह,
क्या ना था तब ? क्या ना बचा अब?
बदल गया क्या ?
रूप तो वही था ,
अगल में तुम थे, बगल में मै था ,
मध्य हमारे बैठा कौन था ?
तुझमे क्या मै अब ?
या मुझमे मै ?
निकट होते हुए चुप था कौन ?
बदल चुका क्या समय का लय?
रचनाकार –
बुध्द प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।