बदल गया हूं मैं भी थोड़ा।
बदल गया हूं मैं भी थोड़ा,
जबसे बदला ये ज़माना है,
विश्वास कीजिए फिर भी मेरा,
कि अंदाज़ वही पुराना है,
ना ही कहीं कोई शिकवा किसी से,
ना किसी को नीचा दिखाना है,
बदल गया हूं मैं भी थोड़ा,
जबसे बदला ये ज़माना है,
ना मेरे लफ्ज़ों में शामिल है कहानी कोई,
ना साधा किसी पे कोई निशाना है,
बदल गया हूं मैं भी थोड़ा,
जबसे बदला ये ज़माना है,
क्या बिगड़ा है किसी का किसी के बिना,
कि सब कुछ यहीं रह जाना है,
बदल गया हूं मैं भी थोड़ा,
जबसे बदला ये ज़माना है,
क्यों हर बात की सफाई है देनी,
क्यों किसी को कुछ भी बताना है,
बदल गया हूं मैं भी थोड़ा,
जबसे बदला ये ज़माना है।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।