बदल गए सब खेल
मेरे मन की वेदना,
विपुल रत्न अनमोल !
पाकर इसको मैं सका,
शब्द सीपियाँ खोल !!
बदले आज मुहावरे,
बदल गए सब खेल !
सांप-नेवले कर रहें,
आपस में अब मेल !!
✍ सत्यवान सौरभ
मेरे मन की वेदना,
विपुल रत्न अनमोल !
पाकर इसको मैं सका,
शब्द सीपियाँ खोल !!
बदले आज मुहावरे,
बदल गए सब खेल !
सांप-नेवले कर रहें,
आपस में अब मेल !!
✍ सत्यवान सौरभ