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16 Oct 2024 · 1 min read

बदल गई है प्यार की, निश्चित ही तासीर।।

दोहे की दो पंक्तियाँ, .रखतीं हैं वह भाव ।
हो जाए पढ कर जिसे,पत्थर मे भी घाव ।।

बदल गई है प्यार की, निश्चित ही तासीर ।
कहते थे जो इश्क़ का , पत्थर भारी “मीर ।।

छज्जों पर आने लगे, पत्थर नित्य तमाम ।
शायद पकने लग गए, अमुआ फिर आम ।।
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 7 Views
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