” ———————————- बदले से दिनमान ” !!
हंसती आंखें करे शरारत , अधर बसी मुस्कान!
यही अदाऐं मन को भाती, तुम रत्नों की खान !!
नाम हमारा टांग गले में , इतराये फिरते हो !
याद हमारी हृदय बसाये , बनो ना यों अनजान !!
बिखरी अलकें , छटा है बंकिम , और शरारत छलके !
हम जैसे जाने कितनो के ,छूटा हाथ ईमान !!
धूप गुनगुनी रूप निखारे , कंचन काया गमके !
सूरज ने ओढ़ी शीतलता , बदले से दिनमान !!
बाग बहारें दिखे झूमती , आँचल जब लहराओ !
पवन झकोरे बड़े शान से , करते हैं गुण गान !!
प्यारभरी नज़रों से लूटा , हम तो ठगे ठगे से !
चाहत की दरकार भी छूटी , उलझे से मन प्राण !!
बृज व्यास