Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2020 · 1 min read

बदले बदले से…

✍?सर्दी की मौसम में सुना है शामें रंगीन होती है,
जुकाम हो जाता है, तो क्या हुआ,
दिन बेहतरीन होती हैं।
जाड लगता है जब बारिश होती है तब,
फिर भी रंजिशें युँ ही कटती रहती हैं शामें,
जाने क्यूँ मेरे लिए हम राज रोके रखी है, गुलबान तलक।
रहमें करम सबुत के घेरो में,
ढल जाता है तनिष्क फिरौती का,
डुब गया हूँ शामों में कठिनाई और शराफ़त की नजाकत में।
साँसों में आॅक्सीजन की जगह कार्बन जा रही, सोंचो क्युँ ऐसी ही रश्म हैं जीवन की डोरी का।
शबनम फुल बनकर तराशी गई पन्नें,
जा रही है हाथों से युँ प्यादा तो नहीं कबाबों का।
सादगी उमड रही है,
शाम ढल रही है,
क्या एकता यही है हमारी दिल्लगी का।
एक शराबी भी शराब पी प्याला छोड जाता है,
तनिक समझो बिना ताबिज के कोई इतना क्युँ इठलाता है।
दुबक जाओ सर्द हवा है,
कहीं ठंढ न लग जाए,
आई है रूख मोडकर ये बीमारी दिल की, कहीं किसी मोड पर बैवजह बदनाम न कर जाए।

Language: Hindi
514 Views

You may also like these posts

तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
मुक्तक
मुक्तक
Rajesh Tiwari
छुपा कर दर्द सीने में,
छुपा कर दर्द सीने में,
लक्ष्मी सिंह
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
शेखर सिंह
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
Ajit Kumar "Karn"
भारती के लाल
भारती के लाल
पं अंजू पांडेय अश्रु
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#शीर्षक- नर से नारायण |
#शीर्षक- नर से नारायण |
Pratibha Pandey
कैसी निःशब्दता
कैसी निःशब्दता
Dr fauzia Naseem shad
గురువు కు వందనం.
గురువు కు వందనం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कि  इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
Mamta Rawat
*हिंदी तो मेरे मन में है*
*हिंदी तो मेरे मन में है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सजल
सजल
seema sharma
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
पूर्वार्थ
हार से डरता क्यों हैं।
हार से डरता क्यों हैं।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
चार मुक्तक
चार मुक्तक
Suryakant Dwivedi
कुछ बाते वही होती...
कुछ बाते वही होती...
Manisha Wandhare
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
डॉ.सीमा अग्रवाल
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
समर्पण
समर्पण
Sanjay ' शून्य'
निशाचार
निशाचार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
Surinder blackpen
" जब "
Dr. Kishan tandon kranti
#दोहा
#दोहा
*प्रणय*
मुरधर
मुरधर
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मेरा इतिहास लिखोगे
मेरा इतिहास लिखोगे
Sudhir srivastava
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...