बदले-बदले गाँव / (नवगीत)
सूनी-सूनी
चौपालें हैं
बदले-बदले गाँव ।
मारी-मारी
फिरे जवानी
लाचारी में विरधापन ।
नंगा-भूखा
गली-गली में,
फिरे अनाथों-सा बचपन ।
आम लदी
डाली चटकी,तो
दूर भागती छाँव ।
बखरी-बखरी
नचै बेड़नी
द्वार – द्वार पर भूख ।
करनी की
भरनी भरते
ही,औंधा गिरा रसूख ।
खोर-खोर में
ताश बिछी है
औ’ चौसर के दाँव ।
मुँह देखे की
नमस्कार है
गरज परे का अभिवादन ।
किलकिल,किचकिच
औ’ नफरत से
पटे पड़े हैं घर-आँगन ।
बूढ़े,बारे,
लुहरे,जेठे
बिसरे रस के ठाँव ।
घरबारी के
पइसा भाँड़े,
भूखे मौड़ा-मोड़ी ।
करम अभागे
खेलें सट्टा
दो अंकों की जोड़ी ।
ओपन-कागा
चढ़ मगरे पर
करे किलोजी-काँव ।
सूनी-सूनी
चौपालें हैं
बदले-बदले गाँव ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश ।
मो.- 8463884927