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27 Feb 2023 · 1 min read

बदले-बदले गाँव / (नवगीत)

सूनी-सूनी
चौपालें हैं
बदले-बदले गाँव ।

मारी-मारी
फिरे जवानी
लाचारी में विरधापन ।
नंगा-भूखा
गली-गली में,
फिरे अनाथों-सा बचपन ।

आम लदी
डाली चटकी,तो
दूर भागती छाँव ।

बखरी-बखरी
नचै बेड़नी
द्वार – द्वार पर भूख ।
करनी की
भरनी भरते
ही,औंधा गिरा रसूख ।

खोर-खोर में
ताश बिछी है
औ’ चौसर के दाँव ।

मुँह देखे की
नमस्कार है
गरज परे का अभिवादन ।
किलकिल,किचकिच
औ’ नफरत से
पटे पड़े हैं घर-आँगन ।

बूढ़े,बारे,
लुहरे,जेठे
बिसरे रस के ठाँव ।

घरबारी के
पइसा भाँड़े,
भूखे मौड़ा-मोड़ी ।
करम अभागे
खेलें सट्टा
दो अंकों की जोड़ी ।

ओपन-कागा
चढ़ मगरे पर
करे किलोजी-काँव ।

सूनी-सूनी
चौपालें हैं
बदले-बदले गाँव ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश ।
मो.- 8463884927

Language: Hindi
Tag: गीत
6 Likes · 18 Comments · 500 Views
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