बदला है आजकल ये इंसान हद से ज्यादा
बदला है आजकल ये इंसान हद से ज्यादा
रहता है आजकल ये हैरान हद से ज्यादा
उजड़े हुये चमन में आते कहाँ परिंदे
जबसे हुआ चमन ये वीरान हद से ज्यादा
दौलत की इस चमक में हर आदमी है अंधा
बिकने लगा जहाँ में ईमान हद से ज्यादा
उसमें गुरुर होना तो लाज़मी है “योगी”
मिलने लगे किसी को सम्मान हद से ज्यादा