बदला मौसम मान
बदला मौसम मान है,रखें सभी हम ध्यान।
सोच समझ त्यागें सदा,सर्दी के परिधान।।
गर्म वस्त्र के त्याग में,करिए सोच विचार।
स्थिति मौसम लखकर सदा,करो उचित व्यवहार।।
जल्दी होती है बुरी,लाती बहुत विकार।
उत्तम रखकर सोच हम,करते सत व्यवहार।।
गर्मी वर्षा शीत ऋतु,आते क्रमिक विधान।
मानव पोषक यह सभी,कहते सब विद्वान।।
हर इक मौसम ही सदा,देता उत्तम ज्ञान।
मानव समझे सार जब,उत्तम बने विधान।।
चर्चा मौसम की उठी,हुए भ्रमित इंसान।
अर्थ देख बदलें तुरत,त्याग जीभ का मान।।
लक्षित जीवन अर्थ पर,वैसा ही व्यवहार।
भाव शून्यता है बढ़ी,सीमित हुए विचार।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव