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14 May 2018 · 1 min read

नारी शोषण

जमाना चाहे कितना बदला ,
पर बदले नहीं अभी इंसान।
हर क्षेत्र में नारी आगे,
फिर भी नही मिलता सम्मान।
अहोदा चाहे ऊँचा हो गया,
सोच का स्तर वही रहा।
जुल्म सहन करती जो नारी,
फिर दिल भी पत्थर बना रहा।
कभी दहेज़,कभी शोषण की,
आग में वो जल जाती हैं।
रोज हजारो मौत मरे वो,
कुछ भी गुनाह नही करे वो
फिर भी गुनहगार बन जाती हैं।
सब को चुप रखने की खातिर,
खुद ही वो मर जाती हैं।
जमाना चाहे कितना बदला
पर बदले नही अभी इंसान।

Language: Hindi
3 Likes · 307 Views
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