बदलाव
उसकी बाते पहले अजीब ,
अब अंजानी लगती है ,
बदलाव की परिभाषा की,
अब हमे समझ लगती है ।
कभी हुआ करता था ऐसा भी ,
बदलावों से मुझे फर्क नहीं पड़ता था ,
इस कारण ही शायद ,
बदलाव महज़ एक शब्द लगता था ।
मगर अब , सब बदल गया है ,
ना मै हूँ पहले जैसी ,
ना अब कोई और पहले जैसा रहा है।
हकीक़त कहूं तो ठीक हूँ , मै ,
हकीक़त की हकीकत कहूं ,
तो इतनी भी कुछ खास नहीं ,
बस थोड़ी सी उलझन में हूँ मै ,
किसी से मै नराज़ नहीं।।२
❤️ सखी