बदलाव की क्रांति
क्रांति होनी चाहिए। बदलाव की अस्तित्व की नहीं। क्रांति में नग्नता नहीं ,सौंदर्य व शालीनता हो तो ही ठीक है।लड़कियों को यह क्यों नहीं समझ आ रहा है कि यह कपड़े उतारना सिर्फ अश्लीलता व भोंडे पन की निशानी है। हर पहलू के कुछ नियम कानून होते है । मर्यादाएं लाँघना आधुनिकता नहीं चाहे फिर वह लड़की हो या कोई लड़का। साधुवाद
प्रवीणा त्रिवेदी “प्रज्ञा”
नई दिल्ली 74