बदलाव
बदलते वक्त के साथ ग़र हम
बदल न पाएं ,
इस सफर -ए – जीस्त में कहीं ठहर कर
ना रह जाएं,
बदलते वक्त हालात बदलते हैं ,
बदलते हालात ख़यालात बदलते हैं ,
बदलते ख़यालात एहसास बदलते हैं ,
बदलते एहसास मरासिम बदलते हैं,
बदलते मरासिम ‘अहद-ओ- पैमाँ बदलते हैं ,
बदलते अहद अख़्लाक़ बदलते हैं ,
बदलते अख़्लाक़ इंसां बदलते हैं ,
जब गर्दिश- ए- दौराँ में सब कुछ बदल
जाना भी मुमकिन है ,
तब इस दौर में ठहरे रहना
भी मुश्किल है ,
क्यूँ ना हम बदलते वक्त के साथ
खुद को बदल पाएं ,
वरना, रफ़्तार -ए- ज़माना हमें ठोकर मार
आगे ना निकल जाए।
,