बदलती परिभाषा
कहते है
राम ” अनुकरणीय ” हैं
कृष्ण ” चिंतनीय ” हैं ,
क्योंकि इन्होने ……
दुष्टों के विनाश के लिए
लिया अवतार
समय को जिया
समय के अनुसार ,
संतों के विचार ……
उतारो इनकों अपने जीवन में
इनके कर्मों के अनुसार ,
पर इस कलियुग में ……
कोई राम के हाथों मरने के लिए
नहीं करता ” सीता – हरण ”
अब तो बस अपनों से छीनना है
दुर्योधन हो दुशासन हो
या हो परिस्थितियों से बंधा ” करण ”
इस युग में ……
उस महाभारत से भयंकर
बिना ” व्यूह रचना “के
सारे “अभिमन्युओं ” को मार रहे
एक – एक कर ,
आज भी ……
राम रावण से लड़ सकते
लक्ष्मण से नहीं
भाई का भाई से छल
राम की समझ में नहीं ,
अब तो ……
कृष्ण को चिंतन से निकाल
अपने अनुकरण में ढाल
छल को छल से जीत
चलो एक – एक चाल ,
मेरे लिये ……
राम पुरुषोत्तम हैं पूज्यनीय हैं
परन्तु इस युग में चिंतनीय हैं
कृष्ण छलिया हैं छलिय हैं
आज वहीँ अनुकरणीय हैं !!!
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 19/04/13 )