“बदलता भारत “
“बदलता भारत “
नसीहत दिया फजीहत किया ! ना माना कभी,परेशान किया !!
बेवजह सर को झुकाना पड़ा ! चाहत को दिलसे हटाना पड़ा !!
मूक दर्शक बन के देखते रहे ! मुसीबतों को हम झेलते रहे !!
योजनायें रोज ही बनती रही ! मंहगाईयां रोज ही बढ़ती रही !!
निरीह को सदा कुचला गया ! देशद्रोह वह यहाँ बनता गया !!
कायर को कहते यहाँ वीर हैं ! गाँडीव में कटुता के तीर हैं !!
सद्भावना विलुप्त हो गया ! द्वेष घृणा ही अब रह गया !!
प्रेम से एक भारत बनाओ ! स्वर्णअक्षरों मे नाम लिखाओ !!
===================
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल”