Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2021 · 4 min read

बदलता भविष्य

बदलता भविष्य
**************
बदन थक कर चूर हो रहा था ,पर मारे खुशी के नींद नहीं आ रही थी ।वैसे तो बाबूजी का मार्ग-दर्शन मुझे सफलता के पथ पर निरन्तर आगे ले जाता रहा है पर पिछले 5 वर्षों में जो उपलब्धियां मिली हैं वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था । MD करके बच्चों का विशेषज्ञ डाक्टर बनने के बाद विदेश जा कर खूब पैसा कमाने की ललक तो थी पर बाबूजी के जोर देने पर अपने शहर में ही बड़ा सा नर्सिंग होम खोल दिया था ।बाबूजी इसी शहर के प्रतिष्ठित डाक्टर थे और सरकारी हस्पताल से मुख्य चिकित्सा अधिकारी रिटायर हुए थे सो किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई।समर्पित डाक्टर ,नर्सों व अन्य स्टाफ की भर्ती बाबूजी ने ही की थी ।इलाज बढिया और सस्ता तथा गरीबों को मुफ्त उपलब्ध कराया जाता था ।शहर ही नहीं अपितु प्रदेश में नर्सिंग होम की ख्याति ऐसी हो चुकी थी कि आज स्थापना के 5 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में स्वंय मुख्यमन्त्री के आग्रह पर बाबूजी ने एक सादा समारोह आयोजित किया था जो विशिष्ट उपस्थिति के कारण काफी सफल हो गया था। मुख्यमन्त्री जी ने प्रशस्ति पत्र के साथ साथ 1करोड़ रुपये की राशि भी गरीबों के इलाज के मद में प्रदान की और बाबूजी व मेरी दिल खोल कर प्रशंसा भी की। यही नहीं नर्सिंग होम के विस्तार के लिये रियायती व सस्ती दर पर जमीन देने का प्रस्ताव भी रख दिया।
अचानक बाहर कुछ गिरने की आवाज आई।चौंक कर बाहर ड्राईंग रूम में आया तो 6/7 साल का लड़का घबराया हुआ खडा पाया ।लकड़ी की अलमारी खुली हुई थी ।पलक झपकते ही समझ आ गया कि लड़का चोरी के इरादे से किसी तरह सबकी नजर बचा कर अन्दर घुस आया है ।बस तड़ाक से दो चांटे जड़ दिये ।चौकीदार को आवाज देता उससे पहले ही मां और बाबूजी अपने कमरे से निकल आये ।एक बच्चे जैसे जोश और आवेश से सारी बात बाबूजी को बताकर पुलिस को फोन करने के लिये अपना मोबाईल उठाया पर बाबूजी ने रोक दिया ।मां की तरफ मुखातिब होकर बोले:-
“इसे खाना खिला कर सुला दो ।इसका क्या करना है, सुबह फैसला करेंगे ।”
“बाबूजी ये चोर है ।सुबह तक चोरी वगैरह करके भाग जायेगा ।इस को इसी वक्त पुलिस को सौंप देना चाहिये ।”मैं बोला
“कहा ना ,सुबह देखेंगे ।”बाबूजी ने संयमित स्वर में कहा और अपने कमरे की तरफ जाने लगे ।
“न जाने आप को क्या हो गया है ?एक चोर के लिये आप के दिल में इतनी हमदर्दी किसलिये ? आप समझते क्यों नहीं कि एक चोर क्या क्या कर सकता है?” मेरा स्वर ऊंचा हो गया था ।
सहसा बाबूजी की आंखें नम हो गयी ।बुदबुदा कर बस इतना ही कहा “काश तुम भी समझ सकते कि एक चोर क्या क्या कर सकता है ।”और अपने कमरे में चले गये ।दरवाजा बन्द करने की आवाज सुनकर मैंने मां की तरफ देखा ।मेरी और बाबूजी की तकरार सुन वो जड़ सी खड़ी थी ।आखिर मैं ही बोला :-
“जाओ मां ,बाबूजी को समझाओ ।एक चोर की जगह जेल में होती है ,घर में नहीं ।आज ये हो क्या रहा है इस घर में ?”
“कुछ नहीं हो रहा ।बस इतिहास अपने को दोहरा रहा है पर….पर ..तुम ..तुम रुकावट बन गये हो ।”
“कहना क्या चाहती हो मां ? साफ साफ कहो ।”
“तो सुनो ।” मां उत्तेजित हो गयी थी।” अगर सच में चोर की जगह जेल ही होनी चाहिए और तुम्हारे बाबूजी भी ऐसा ही मानते तो आज से 24 साल पहले तुम भी जेल तो नहीं पर किसी बाल सुधार गृह में होते और आज न जाने क्या होते ”
“मैं…. मैं…..मैं…….मां ?”
“हां तुम ।तुम भी आज से 24 साल पहले 5/6साल की आयु में इस घर में 31दिसम्बर की रात को एक चोर बनकर ही घुसे थे ।भूख और प्यास के मारे ।और ऐसे ही पकड़े गये थे ।पर तुम्हारे बाबूजी ने तुम्हें पुलिस को नहीं सौंपा ।बस मेरे से पूछा कि क्या तुम इस अनगढ़ मिट्टी को कोई रूप देना चाहोगी ?अपने मातृत्व की छांव में रखना चाहोगी ? और मेरी सहमति पा कर तुम्हें स्कूल भेज दिया ।अपने बेटे के रूप में ,अपना नाम देकर ।किसी को तुम्हारे बारे में कुछ नहीं बताया ।हमने अपनी स्वयं की सन्तान न करने का पक्का निर्णय कर लिया और बेटे के रूप में तुम्हारा जीवन संवारने में लग गये ।”
आगे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ।कान ,जुबान, हाथ,पैर सब सुन्न हो गया था ।किसी तरह अपना हाथ मां के मुंह पर रखकर उन्हें चुप कराया ।और हाथ जोड़कर सामने खड़ा हो गया ।फिर उस चोर बबलू का हाथ थाम कर उसे साथ ले धीरे-धीरे चलता हुआ बाबूजी के शयन-कक्ष के दरवाजे तक पंहुचा। दरवाजा खोल अन्दर दाखिल हुआ ।बाबूजी दूसरी ओर मुंह कर के लेटे थे ।हिम्मत कर पुकारा
“बाबूजी ।”
कोई प्रतिक्रिया नहीं ।एक बार फिर आवाज दी। “बाबूजी ”
कोई उत्तर नहीं ।बहुत नाराज थे शायद ।
अब मैं बबलू की तरफ मुड़ा और बोला “बबलू ,तुम दादाजी से सिफारिश करो।शायद वो मुझे माफ कर दें।”
पर बबलू के कुछ कहने से पहले ही बाबूजी ने उठकर मुझे अपने कलेजे से लगा लिया था ।
मां दरवाजे पर खड़ी आंसू पोंछ रही थी ।और बबलू कुछ न समझते हुए सामने शून्य में देख रहा था, अपने अनिश्चित काले भविष्य को एक सशक्त उज्जवल भविष्य में बदलते हुये ।

स्वलिखित , मौलिक व अप्रकाशित
(अमृत सागर भाटिया )

2 Likes · 2 Comments · 373 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...