Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2017 · 1 min read

बदलता गांव

कहां है गांव की वाे मिट्टी,
कहां हैं बचपन की कट्टी,

कितना बदल गया गांव,
अब नही बची काेई छांव,

नही रहे वाे मनुज,
नही दिखते अनुज,

नही लगती वाे चाैपाटी,
चले गये सब सहपाटी,

गलियाे के कीचड़ सूख चुके,
अब वाे तीज त्याैहार बीत चुके,

पेड़ाे की डाली सूनी हिले,
कहां गये वाे सावन के झूले,

अब नही रहा लाेगाे का मन चंगा,
नही दिखता हमारा वाे अष्टाचंगा,

दिल में खिची है गांव की लकीरे अमिट,
घर आंगन चाैक चाैराहे सब गये सिमट,

सब भूल चुके अपना फर्ज,
गा रहे अपना राग बिना तर्ज,

जहां देखाे वहां हाे रहे दंगे,
घूम रहे उनके बच्चे नंगे,

गली गली बनी राजनीति का अखाड़ा,
अब सीख रहे हैं सब उनका ही पहाड़ा,

रिश्ते नाते भाई चारा सब टूट चले,
प्रेम रूपी जहाज किनारा छाेड़ चले,
।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
347 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all

You may also like these posts

ऐ पत्नी !
ऐ पत्नी !
भूरचन्द जयपाल
प्रेम भरी नफरत
प्रेम भरी नफरत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अभी एक बोर्ड पर लिखा हुआ देखा...
अभी एक बोर्ड पर लिखा हुआ देखा...
पूर्वार्थ
पेड़ पौधे फूल तितली सब बनाता कौन है।
पेड़ पौधे फूल तितली सब बनाता कौन है।
सत्य कुमार प्रेमी
आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है
आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है
SURYA PRAKASH SHARMA
मेहबूब की शायरी: मोहब्बत
मेहबूब की शायरी: मोहब्बत
Rajesh Kumar Arjun
विषय-
विषय-"जलती रही!"
Priya princess panwar
आया यह मृदु - गीत कहाँ से!
आया यह मृदु - गीत कहाँ से!
Anil Mishra Prahari
नववर्ष नवशुभकामनाएं
नववर्ष नवशुभकामनाएं
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
4436.*पूर्णिका*
4436.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"अन्धेरे के आशियाने"
Dr. Kishan tandon kranti
■ तेवरी-
■ तेवरी-
*प्रणय*
बस करो, कितना गिरोगे...
बस करो, कितना गिरोगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*कभी मस्तिष्क से ज्यादा, हृदय से काम लेता हूॅं (हिंदी गजल)*
*कभी मस्तिष्क से ज्यादा, हृदय से काम लेता हूॅं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
हर पल
हर पल
हिमांशु Kulshrestha
विश्वास कर ले
विश्वास कर ले
संतोष बरमैया जय
अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)
अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)
Indu Singh
कुरुक्षेत्र की व्यथा
कुरुक्षेत्र की व्यथा
Paras Nath Jha
घर
घर
Kumar lalit
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
धिन  धरणी  मेवाड़ री, धिन राणा रौ राज।
धिन धरणी मेवाड़ री, धिन राणा रौ राज।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मातु शारदे
मातु शारदे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ज़ुल्फो उड़ी तो काली घटा कह दिया हमने।
ज़ुल्फो उड़ी तो काली घटा कह दिया हमने।
Phool gufran
मौत
मौत
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
सुख - डगर
सुख - डगर
Sandeep Pande
शिकागो धर्म सम्मेलन
शिकागो धर्म सम्मेलन
Sudhir srivastava
ख़ामोश  दो किनारे   .....
ख़ामोश दो किनारे .....
sushil sarna
#ਪੁਕਾਰ
#ਪੁਕਾਰ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मिलोगे जब हमें प्रीतम मुलाकातें वही होगी
मिलोगे जब हमें प्रीतम मुलाकातें वही होगी
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
गुरु
गुरु
Kanchan verma
Loading...