बदरा कारे अब तो आ रे
पंछी व्याकुल मत तड़पा रे
धरती प्यासी मत तरसा रेे
हर कोई आकाश निहारे
बदरा कारे अब तो आ रे
व्याकुल है रे मेरी गइया
सूख रहे अब ताल तलैया
मेघा अब जमकर बरसा रे
बदरा कारे अब तो आ रे
प्यासे हैं सब बाग़ बगीचे
आकर इनको तू ही सींचे
पेड़ों को अब मत झुलसा रे
बदरा कारे अब तो आ रे
बगिया मेरी सूख रही है
मनवा में एक आग लगी है
आकर सब की प्यास बुझा रे
बदरा कारे अब तो आ रे
मेरे आंगन की यह क्यारी
बिन तेरे तड़पे बेचारी
अब तो तू अमृत बरसा रे
बदरा कारे अब तो आ रे
@ अरशद रसूल