*बदन में आ रही फुर्ती है, अब साँसें महकती हैं (मुक्तक)*
बदन में आ रही फुर्ती है, अब साँसें महकती हैं (मुक्तक)
_________________________
बदन में आ रही फुर्ती है, अब साँसें महकती हैं
मधुर संगीत कोयल का, सुनो चिड़ियाँ चहकती हैं
नए पत्तों से पेड़ों पर, नया यौवन निकल आया
हवाएँ गंध की मस्ती से, खुद अपनी बहकती हैं
——————————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451