बदनाम से
2122 2122 212
हर चमन और हर कली के नाम से।
हो रहे हैं आज कल बदनाम से।।
इश्क क्या, है और बता कैसी वफ़ा।
ये सभी मिलती हैं, केवल दाम से।।
दुनियादारी से नहीं कुछ वास्ता।
काम रखते है हम तो अपने काम से।।
जब से बाबाओं ने बदले हैं करम।
दूर आशा हो गई है राम से ।।
बेहया वो, बेअदब दुनिया हुई।
हम तो केवल ‘बेशर्म’ हैं नाम से ।।
विजय बेशर्म