Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jan 2024 · 1 min read

बदनाम गली थी

बदनाम गली थी वहा जाना हुआ था
वो टेडी मेडी गली थी सन्नाटा पड़ा था
आखरी जुगनू था मुझे उड़ना पड़ा था
वो सुनसान कोठरी मे अँधेरा घना था

भूख से लड़ता हुआ जिस्म पड़ा था
हवस की आँखो भरा गिद्द खड़ा था
राजा व रंक यहाँ लाईन मे खडा था
बदनाम गली थी मुझे जाना पड़ा था

चकाचौंध दुनिया की फीकी लगी थी
रौशन महफिल मे जो सजने लगी थी
रंगीन रंगों की यहाँ जो मंडी सजी थी
बोलिया नंगे बदनो पर लगने लगी थी

बदनाम गली थी वहा जाना हुआ था
मेरे प्रश्नों पर उसका उत्तर बड़ा था
क्यों कब कैसे तुम्हारा आना हुआ था
बदनाम गली थी मुझे जाना पड़ा था

रिश्तों ने निचोडा डर अपनों से लगा था
जब हवस के गिद्दों ने नोचना चाहा था
दो निवाले के लिए यह करना पड़ा था
बदनाम गलियो ने मुझे सहारा दिया था

बदनाम गली थी वहा जाना हुआ था
वो सुनसान कोठरी मे अँधेरा घना था

Language: Hindi
210 Views

You may also like these posts

त्रेतायुग-
त्रेतायुग-
Dr.Rashmi Mishra
23. *बेटी संग ख्वाबों में जी लूं*
23. *बेटी संग ख्वाबों में जी लूं*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
" The Beauty"
राकेश चौरसिया
2958.*पूर्णिका*
2958.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संविधान
संविधान
लक्ष्मी सिंह
मैंने उनका जाना भी देखा है जिनके जानें जाती थी जान अब मुझे क
मैंने उनका जाना भी देखा है जिनके जानें जाती थी जान अब मुझे क
Vishvendra arya
जीवन बिता रहे है मजदूर मुफलिसी का ।
जीवन बिता रहे है मजदूर मुफलिसी का ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
VINOD CHAUHAN
चढ़ते सूरज को सदा,
चढ़ते सूरज को सदा,
sushil sarna
*खोटा था अपना सिक्का*
*खोटा था अपना सिक्का*
Poonam Matia
कांटों के संग जीना सीखो 🙏
कांटों के संग जीना सीखो 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
उठाएँगे
उठाएँगे
Kunal Kanth
इसी खिड़की से प्रतीक्षारत होकर निहारने की तरह ही
इसी खिड़की से प्रतीक्षारत होकर निहारने की तरह ही
पूर्वार्थ
उस झरोखे को बंद करें, जो आपको पीड़ा देता है, बाहर का दृश्य च
उस झरोखे को बंद करें, जो आपको पीड़ा देता है, बाहर का दृश्य च
इशरत हिदायत ख़ान
सुबह देखता हूं शाम देखता हूं
सुबह देखता हूं शाम देखता हूं
Rituraj shivem verma
आज कल !!
आज कल !!
Niharika Verma
*व्याख्यान : मोदी जी के 20 वर्ष*
*व्याख्यान : मोदी जी के 20 वर्ष*
Ravi Prakash
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
पर्व है ऐश्वर्य के प्रिय गान का।
पर्व है ऐश्वर्य के प्रिय गान का।
surenderpal vaidya
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
Ranjeet kumar patre
किसी से भी कोई मतलब नहीं ना कोई वास्ता…….
किसी से भी कोई मतलब नहीं ना कोई वास्ता…….
shabina. Naaz
मेरी नाव
मेरी नाव
Juhi Grover
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
भीड़ में वो खो गए
भीड़ में वो खो गए
प्रदीप कुमार गुप्ता
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
Jogendar singh
बह्र ....2122  2122  2122  212
बह्र ....2122 2122 2122 212
Neelofar Khan
गुज़िश्ता साल -नज़्म
गुज़िश्ता साल -नज़्म
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
तुम जुनून हो
तुम जुनून हो
Pratibha Pandey
पढ़ने को आतुर है,
पढ़ने को आतुर है,
Mahender Singh
प्रजा शक्ति
प्रजा शक्ति
Shashi Mahajan
Loading...