बदतमीज़ लड़की
‘ मैडम , आप कुछ परेशान लग रही हैं । किसी का इंतजार है ? ‘ एक युवक
ने 22 -23 बरस की एक लड़की को शहर के एक पार्क में परेशान सा इधर उधर टहलते देखकर पूछ लिया। ‘ नहीं कोई बात नहीं । ‘ लड़की ने कुछ रूखेपन से जवाब दिया । इतने बड़े शहर में पहली बार आई लड़की बहुत देर से अपनी सहेली का इंतजार कर रही थी कि फिर कोई हमदर्द पूछ बैठा ।
‘ मैडम कहीं जाना है आपको । मे आई हेल्प यू ‘ । लड़की ने इस बार कुछ और रूखेपन से जवाब दिया । ‘ नहीं , तुम अपना काम करो । ‘ कुछ देर बाद फिर कोई शख्स उससे पूछ बैठा – ‘ आप बहुत देर से यहां परेशान सी लग रही हैं । मैं आपकी कुछ मदद करूं। ‘ लड़की इस बार झल्ला गई – ‘ ए मिस्टर तुम यहां से चलते बनो , मुझे किसी की मदद की ज़रूरत नहीं है। कहां कहां से चले आते हैं , हमदर्द बनकर । फूटो यहां से । ‘ पूछने वाला शख्स सकपका गया। और जाते जाते अपने साथी से बोला – ‘बड़ी बदतमीज़ लड़की है यार , मैंने तो यूं ही पूछ लिया था । ‘ इतने में लड़की की सहेली आ गई और उसने देर हो जाने के लिए माफी मांगी। दोनों वहां से चल दिए। लड़की अपनी सहेली के घर पहुंच कर अपने , दूसरों के प्रति रूखे और असभ्य व्यवहार के लिए बहुत दुःखी हो गई । उसने अपनी सहेली को सब बताया कि वह कैसे दूसरों के साथ बदतमीजी से पेश आई । एक अनजाने और स्वाभाविक डर के कारण उसने ऐसी बदतमीजी से बात की , उसके ऐसे तो संस्कार नहीं हैं । हर अनजान आदमी बुरा तो नहीं होता। ऐसा कहते कहते उसकी आंखें सजल हो आई ।
अशोक सोनी
भिलाई ।