बदचलन (हिंदी उपन्यास)
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ज़िंदगी जब बदरंग और बेमेल होती है तब अपना साया तक साथ छोड़ देता है। कुछ ऐसा ही हुआ जब धनाढ्य जमींदार राजवीर सिंह की बेटियों ने अपने छोटे भाई मनोहर की मंदबुद्धि का फायदा उठाकर उसकी सारी सम्पत्ति हड़प ली।
कैसे फिर मनोहर की पत्नी श्यामा अपने पति और बच्चों का ढाल बनकर आगे आई?
समाज की दोगली निगाहों से कैसे उस दो चार होना पड़ा?
क्या हुआ जब पूरे समाज से अकेले लोहा लेने वाली श्यामा का आंचल उसके ही घर के चिराग़ से धू धू कर जल उठा?
पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें, बोधरस प्रकाशन की पेशकश और श्वेत कुमार सिन्हा की उपन्यास ‘बदचलन’ अमेज़न पर उपलब्ध।