बता ये दर्द
बता ये दर्द भी किसको सुनाएं।
मेरे हर ख़्वाब की जलती चिताएं।।
बहुत है प्यार पर हक तो नही है।
जो किस्मत में लिखा कैसे मिटाएं।।
सभी रूठे अलग सबकी वज़ह है।
सफाई क्यों सभी को हम बताएं।।
जिसे चाहा वफ़ा उसने नही की।
कहाँ से लाये वो संवेदनाएं।।
लिखे है गीत गजले छंद रोला।
सभी मे दर्द है किसको पढ़ाएं।।
ये जीवन कुछ नही तेरे सिवा अब।
समझते ही नही वो भावनाएं।।
यही वो जुर्म था ,था इश्क उनसे।
लगा दी इश्क़ पर कितनी दफाएं।।
सभी अपनो ने खुशियां छीन ली है।
बता एल्जाम भी किस पर लगाएं।।
अकेले ही चले है हम सफर में।
कोई अपना नही किसको बुलाएं।।
अंधेरे में सुकूँ मिलता है दिल को।
चिरागों में तपन है क्यो जलाएं।।
बहुत है दूरियों में दर्द बोलो।
बता ये दर्द हम कैसे मिटाएं।।
जख़्म देती है दुनियां रोज हमको।
कहाँ तक तू बता मरहम लगाएं।।
दवा जब काम करती ही नही है।
दुआएं ले भुला दे तू दवाएं।।
गुनाहों के कसीदे रोज पढकर।
हमारा दिल हमी फिर क्यो दुखाएं।।
सुकूँ इस जिंदगी में मिल न पाया।
चलो हम मौत को अपनी बुलाएं।।
हमारे वक्त ने हमको रुलाया।
बुरा है वक्त तो कैसे बताएं।।
हमारे दरमियां है प्यार गहरा।
मगर लड़ने भी कितनी वजाएं।।
बड़े हमदर्द बनकर आ गए है।
मगर दिल में भरी कितनी गिलाएं।।
बहुत गुस्ताखियां जो माफ़ कर दी।
खताये है बहुत क्या क्या भुलाएं।।
हमें नफरत उन्हें हमदर्दिया है।
गिले कितने हुए हम क्यो मनाएं।।
उन्हें है प्यार पर वो फर्ज कहते।
निभाते रोज है कितने गिनाएं।।
जला के दिल उसी को इश्क़ कहते।
दिलासा रोज वो हमको दिलाएं।।
कसेंगे तंज हम पर बेबसी में।
बुरा है वक्त ये हम क्यों बताएं।।
जमाना नेट का है चेट का है।
बता किस-किस को हम जबरन सुलाएं।।
अमीरों हो गरीबी पर है तो दुनिया।
सभी के दिल मे रहती वेदनाएं।।
जिसे हमने सिखाये दांव सारे।
हमी पर दांव सारे आजमाएं।।
गरल में तीर को बेशक बुझाया।
दग़ा अपने करे किस पर चलाएं।।
नही सीखी है पढ़कर और सुनकर।
नेकी की पढ़ी कितनी खताएं।।
मोहब्बत से बहुत उकता गए है।
कहाँ तक हम सुने झूठी व्यथाएं।।
मोहब्बत दर्द देगी ये न सोचा।
वफ़ा की सुन रखी हमने कथाएँ।।
नही आवाज़ देगे हम तुम्हे भी।
न चाहे आप की हमको मनाएं।।
करो करना वही जो तुमको भाये।
तुम्हारा छल कपट हम क्यों भुलाएं।।
हमेशा छत पे मुझको ताकती थी।
भुला दें हम उसे कैसे भुलाएं
वो रूठा ही नही मुझसे अभी तक।
बता अह ज़िन्दगी किसको मनाएं।।
जो अपना है उसी ने दर्द बांटे।
मेरी मुश्किल किसे अपना बनाएं।।
वफादारी है मेरी हर अदा में।
वो चाहें तो मुझे अब आजमाएं।।
अजब से हैं मिरे अपने सुनो तो।
मुझे हर बात पर डांटे दबाएं।
किसी को क्या दुआ दें, हम अभागे।
अधूरी हसरतें फिरते छुपाएं।
ज़रा सी बात को समझे नही तुम।
सही हालात तुमको, क्या बताएं।
बसा रख्खा है साँसों में तुम्हीं को।
नहीं मुमकिन तुम्हें हम भूल जाएं।।
हमारे ख़्वाब बूढ़े हो चुके अब।
कोई कह दो हमें अब न सताएं।।
नए इस दौर में सबकुछ नया है।
मुहब्बत में नयापन कैसे लाएं।
बुराई तो हमारी जात में है।
चलो कुछ अब से सच्चाई कमाएं।
जिसे चाहा वो कोई और ही था।
मगर वो कौन था किसको बताएं।।
तुम्हारे बिन नही जी पाएगें हम।।
सुनो रूठो नहीं कैसे मनाएं।।
मिरी मजबूरियां समझो ज़रा तुम।
ज़रा सी बात हम समझा न पाएं।।
चलो तुम ही बताओ, क्या करें हम।
हम अपने प्यार से करते दगाएं।
सज़ा ए मौत भी कम ही पड़ेगी।
हमारी कम नहीं हैं ये खताएं।।
दुआएं बदुआये लगती नही है।
हमें मिलती है कर्मों की सजाएं।।
कभी तो हाल खुद का पूछ लो खुद।
कहॉ तक गैर को कितना मानाएँ।।
रहेंगे गैर वो अपने न होंगे।
उन्हें एहसास हम कितना दिलाएँ।।
चलो कुछ देर हम बहलाये खुद को।
भुलाने गम बता कितना पिलाएं।
गमों को तुम जरा से पंख दे दो।
लिखोगे नित नई तुम भी कथाएं।।
गुमाँ करके जिये है उम्र भर हम।
है अंतिम वक़्त अब किसको बुलाएं।।
कमी हो खूबियां हो जो भी पर।
किया है प्यार तो मिलकर निभाएं।।
हमारे हौसलों में क्यों अजब-सी।
थकावट है चलो घर लौट जाएं।।
सुनो वो हो चुके ख़ुदग़र्ज़ इतने।
नहीं मुमकिन किसी के काम आएं।।
बहुत सोचा कि मरकर देख लें हम।
जरूरी तो नहीं कि मर ही जाएं।।
कभी तो हम उन्हें भी आजमाते।
कभी तो वो हमें भी आजमाएं।
तुम्हारे साथ हैं कितनी दुआएं।
हमारे साथ में रहती दवाएं।।
बहुत गम हैं हमारे साथ लेकिन।
किसी का दिल भला क्योंकर दुखाएं।।
नहीं पटती हमारी तो किसी से।
बता तू ही कि हम किसको पटाएँ।।
मिले औक़ात से ज्यादा नही कुछ।
मेरे बेटे ही मुझको बांट खाएं।।
वफ़ा का बोझ बढ़ता जा रहा है।
चलो कर लें ज़रा सी हम खताएं।।
बसाया है जिसे, जिस्मों जिगर में।
बता हम किस तरह उसको सताएं।
दिलो जाँ सब उसी के नाम कर दें।
ज़रा सी इल्तज़ा वो, मान जाएं।
ख़ुशी, चाहत, वफ़ा, ईमानदारी।
चलो दो चार ये पौधे लगाएं।।
उन्हें है भूख, को डर यही है।।
कहीं वो देश को न बांट खाएं।।
उदासी जिंदगी में चोट खाकर।
विजय ने देख ली करके वफाएं।।