“”बता दीजिए हुजूर””
इस तरह चोरी-चोरी आया न कीजिए।
दिल में लगा के आग जाया न कीजिए।।
हो गई मोहब्बत तो बता दीजिए हुजूर,
दिल में रख बात वक्त जाया न कीजिए।।
यादों में बंद आँखें रख पहरों से हैं पड़े,
सोए समझ हमें यूँ जगाया न कीजिए ।।
चुपके-चुपके आँखों से करते हो दीदार,
आँखों से मिला आँखें शरमाया न कीजिए।।
हम बंद पलकों में , दिल मन रूह में तेरे,
तस्वीर बना बना रेत यूँ मिटाया न कीजिए।।
दिल धड़क धड़क यौवन से मांगे जब करार,
तब थपकियाँ दे दिल को सुलाया न कीजिए।।
तकदीर में लिखा”जय” सातों जन्म का साथ,
यूँ लकीर मेरे हाथों से ..मिलाया न कीजिए।।
संतोष बरमैया ” जय”
कुरई, सिवनी, म.प्र.