बताने लगा हूं मैं।
अब बाहर निकलने लगा हूं मैं,
लोगो के दिए दर्द सहने लगा हूं मैं।
हंसने की आदत एक ही बुरी थी मुझे,
देखो हंसते – हंसते अब रोने लगा हूं मैं।
एक लड़की मिली मुझे मेरी ज़िंदगी में,
उसके आते ही सब से दूर क्यों होने लगा हूं मैं।
रोना, फिर रोते – रोते हंस देना पुरानी आदत है मेरी,
अब अपने – आप को क्यों खोने लगा हूं मैं।
बुरी एक आदत लग गई है मुझे,
जो लोगो को बिना पर्खे दिल की बातें उनको कहने लगा हूं मैं।