Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2024 · 1 min read

बताओ प्रेम करोगे या …?

चारों तरफ़ इश्क़ का कोलाहल है..
इश्क क्या,बड़ा सीमित,संकुचित,
मौसमी बुखार सा उतरता चढ़ता
रक्त में बहते हार्मोनों का असर..
वही जो पहली नजर में हो जाता है अकसर
आंखो में डूबकर, जुल्फों में उलझकर,
नाक से नक्शे से और अंग विन्यासो से
जो कर दे पराजित।

किंतु क्या साहस है तुममें
प्रेम कर पाने का..
वही प्रेम जो परे है तन के भूगोल से,
जो कर सकता है हिम्मत,
डूबने की उन आंखों में
जो धंसी हुई , गड्डे दार घेरों में!
जो सोई नहीं है बरसो तलक
क्योंकि वो लीन है एक तपस्या में।

तुम सम्मान दोगे उस तप को?
या करोगे घृणा उनकी कुरूपता से!
बताओ प्रेम करोगे या इश्क..?

केवल प्रेम ही कर सकता है साहस,
उन हथेलियों को थामने की
जो रूखी , खुरदरी हो चुकी है..

बिना चप्पलों के घसीटते एड़ियों में
चुभे कांटे क्या तब भी निकाल पाओगे
जबकि इतने सुंदर नही है पांव
उन जुल्फों के साए में सो पाओगे
तुम, जो संवारी नही गई कबसे..
उन पपड़ाते होठों पर लिख पाओगे गजल
और कर सकोगे कविता क्या उस सूखी देह पर
जो न हो आकर्षक ,सजीली
क्योंकि वो डूबी है निरंतर संघर्ष में,

कहो,क्या पूज पाओगे उस संघर्ष को?
या सिकुड़ाओगे नाक भौं एक ऐसी कृति को देखकर जो तुम्हारे स्वप्नों की छवि से बेमेल है..

बताओ प्रेम करोगे या इश्क?

~priya ✍️

Language: Hindi
6 Likes · 5 Comments · 152 Views
Books from Priya Maithil
View all

You may also like these posts

बड़े भाग मानुष तन पावा
बड़े भाग मानुष तन पावा
आकांक्षा राय
"नाश के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
😢अलविदा ताई जी😢
😢अलविदा ताई जी😢
*प्रणय*
झूठ बोलती एक बदरिया
झूठ बोलती एक बदरिया
Rita Singh
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जो चीज आपको चैलेंज करती है,
जो चीज आपको चैलेंज करती है,
Anand Kumar Singh
तुम्हारी सब अटकलें फेल हो गई,
तुम्हारी सब अटकलें फेल हो गई,
Mahender Singh
कसक भेद की
कसक भेद की
C S Santoshi
दर्द का बस
दर्द का बस
Dr fauzia Naseem shad
अस्तित्व
अस्तित्व
Kapil Kumar Gurjar
हे मनुष्य बड़ा लोभी है तू
हे मनुष्य बड़ा लोभी है तू
Vishnu Prasad 'panchotiya'
मानव जब जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी जाता है ...
मानव जब जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी जाता है ...
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
सादगी
सादगी
Sudhir srivastava
क्या अपने और क्या पराए,
क्या अपने और क्या पराए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
Rj Anand Prajapati
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तन्हा....
तन्हा....
sushil sarna
उनकी आंखो मे बात अलग है
उनकी आंखो मे बात अलग है
Vansh Agarwal
23/173.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/173.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कण कण में है श्रीराम
कण कण में है श्रीराम
Santosh kumar Miri
मनोकामना
मनोकामना
Mukesh Kumar Sonkar
दोपहर की धूप
दोपहर की धूप
Nitin Kulkarni
माँ गै करै छी गोहार
माँ गै करै छी गोहार
उमा झा
*मजदूर*
*मजदूर*
Dushyant Kumar
हम भी देखेंगे ज़माने में सितम कितना है ।
हम भी देखेंगे ज़माने में सितम कितना है ।
Phool gufran
अकेले तय होंगी मंजिले, मुसीबत में सब साथ छोड़ जाते हैं।
अकेले तय होंगी मंजिले, मुसीबत में सब साथ छोड़ जाते हैं।
पूर्वार्थ
जता दूँ तो अहसान लगता है छुपा लूँ तो गुमान लगता है.
जता दूँ तो अहसान लगता है छुपा लूँ तो गुमान लगता है.
शेखर सिंह
*जिंदगी में साथ जब तक, प्रिय तुम्हारा मिल रहा (हिंदी गजल)*
*जिंदगी में साथ जब तक, प्रिय तुम्हारा मिल रहा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मुक्तक
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
चाचा नेहरू
चाचा नेहरू
नूरफातिमा खातून नूरी
Loading...