Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2024 · 1 min read

बताओ नव जागरण हुआ कि नहीं?

बताओ नव जागरण हुआ कि नहीं?
वैचारिक आभरण हुआ कि नहीं?
यूँ ही आते रहेंगे ऐसे पर्व विशेष,
सद्चिंतन आचरण हुआ कि नहीं?

— ननकी 12/10/2024

19 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमारा संघर्ष
हमारा संघर्ष
पूर्वार्थ
विश्व के हर मनुष्य के लिए करुणा होनी चाहिए
विश्व के हर मनुष्य के लिए करुणा होनी चाहिए
Sonam Puneet Dubey
*चाल*
*चाल*
Harminder Kaur
बह्र 2212 122 मुसतफ़इलुन फ़ऊलुन काफ़िया -आ रदीफ़ -रहा है
बह्र 2212 122 मुसतफ़इलुन फ़ऊलुन काफ़िया -आ रदीफ़ -रहा है
Neelam Sharma
ड्राइवर,डाकिया,व्यापारी,नेता और पक्षियों को बहुत दूर तक के स
ड्राइवर,डाकिया,व्यापारी,नेता और पक्षियों को बहुत दूर तक के स
Rj Anand Prajapati
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
बदला है
बदला है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
चोरी जिसका काव्य हो ,
चोरी जिसका काव्य हो ,
sushil sarna
असली खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है।
असली खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
3058.*पूर्णिका*
3058.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*
*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*
Ravi Prakash
"हार्दिक स्वागत"
Dr. Kishan tandon kranti
संघर्ष भी एक खुशी है
संघर्ष भी एक खुशी है
gurudeenverma198
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
singh kunwar sarvendra vikram
ह
*प्रणय प्रभात*
"मित्रों से जुड़ना "
DrLakshman Jha Parimal
ज़िंदगी  ने  अब  मुस्कुराना  छोड़  दिया  है
ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
Phool gufran
रूह मर गई, मगर ख्वाब है जिंदा
रूह मर गई, मगर ख्वाब है जिंदा
कवि दीपक बवेजा
हमे निज राह पे नित भोर ही चलना होगा।
हमे निज राह पे नित भोर ही चलना होगा।
Anamika Tiwari 'annpurna '
ज़िन्दगी का यक़ीन कैसे करें,
ज़िन्दगी का यक़ीन कैसे करें,
Dr fauzia Naseem shad
कुछ बातें ज़रूरी हैं
कुछ बातें ज़रूरी हैं
Mamta Singh Devaa
दिया है नसीब
दिया है नसीब
Santosh Shrivastava
संगीत और स्वतंत्रता
संगीत और स्वतंत्रता
Shashi Mahajan
मैं भी साथ चला करता था
मैं भी साथ चला करता था
VINOD CHAUHAN
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
Suryakant Dwivedi
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
Sahil Ahmad
🙂
🙂
Chaahat
23)”बसंत पंचमी दिवस”
23)”बसंत पंचमी दिवस”
Sapna Arora
भावात्मक
भावात्मक
Surya Barman
Loading...