बढ़ना होगा
बढ़ना होगा
बढ़ना होगा
छोटी सोच छोटी अभिलाषा से।
करना होगा अथक परिश्रम
स्थिति,परिस्थिति,निराशा से
सक्षम हो मानव रूप में
पशु नहीं तुम कोई।
पक्षी का साहस देखो
हर उड़ान में मिलों तय की।
भीख माँगकर
देवों को बदनाम ना करो
हो तुम विधाता
बस कुछ काम करो
छोड़ना होगा
पैतृक संपत्ति और आशा को
दृढ़ संकल्प कर्मठ बन कर
जगाना होगा हृदय में जिज्ञासा को
चढ़ना होगा
दलदल, कीचड़ ,भ्रम से।
बढ़ना होगा”इन्द्र”
सूरज की ओर श्रम से।
सुरेश अजगल्ले “इन्द्र”
खरौद