बडे राज
बडे ही राज रक्खे है दिलों मे दबा करके
कभी कह दो बहाने से मौका पा करके
कभी तो खोलिये कुछ राज की गठरी
बहुत कुछ कह रही आंखे जरा आंसू बहा करके।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र (विप्र)
बडे ही राज रक्खे है दिलों मे दबा करके
कभी कह दो बहाने से मौका पा करके
कभी तो खोलिये कुछ राज की गठरी
बहुत कुछ कह रही आंखे जरा आंसू बहा करके।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र (विप्र)