बड़े दिलवाले
महफिल नई नई सही, पर किरदार पुराना।
दिल जीतना है सबका, और दर्द छिपाना।।
है आसान बहुत जुड़ना, लोगों को तोड़ना।
मुश्किल यहां पर यारों, है संबंध जोड़ना।।
सोचो नही फिरभी तुम्हे तोड़ेगा कौन कौन।
बातों के तीर से तो कुछ रखेंगे सिर्फ मौन।।
उपहास कुछ करेंगे तो बदनाम कुछ करेंगे।
कुछ तो जलन मारे, यूं बे मौत ही मरेंगे।।
सब जानकर बीमारी, लोगों से करना यारी।
देखो शिकार कम है, यहां सैकड़ों शिकारी।।
चाहे हो पैसे वाला या हो निरा भिखारी।
इस दौड़ में है चुनना सबसे बड़ा शिकारी।।
अच्छा हुआ की तुमने सीखा है सिर्फ मिटना।
अच्छा तुम्हे है लगता इन जालिमों में लुटना।।
लुटकर सुनाते रहते हो खुशियों का तुम तराना।
चलता रहे बस ‘संजय’, तेरा सफर ये सुहाना।।
जय हिंद