बड़ेंघर का लड़का!
लड़ने-झगड़ने में सबसे शातिर है
झूठ बोलने में तो माहिर है
एक जगह टिकता नहीं, काफिर है
कहे मेरा तो घराना जाहिर है।
बड़े घर का लड़का,काम भी बड़े करेगा
लोग ही उससे डरें, वो क्यों डरेगा
जो भी टकराएगा,वो बेमौत मरेगा
वो तो बिन पानी,स्वमिंग पुल में तरेगा।
दुनिया-भर की तमाम उसमें खराबी है
प्रेम ,सम्मान उसके लिए किताबी है
नैतिकता से दूर सदा,पक्का शराबी है
आदतें बुरी सारी पर बनता नवाबी है।
चरित्र,संस्कार से तो एकदम कड़का है
सच्चाई, परिश्रम के नाम से ही भड़का है
आखिर ये कैसा बड़े घर का लड़का है ?
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक