“बड़ी नादान है वो !”
“बड़ी नादान है वो !”
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क्या करूं समझ नहीं आता , बड़ी हैरान है वो ।
गलतियाॅं तो की है उसने पर बड़ी नादान है वो।।
दिल कोई सस्ती चीज नहीं जो यूॅं ही दे दूॅं उसे ।
पर ज़माने से ठोकरें खाई है, बड़ी नादान है वो।।
बड़ी भोली-भाली है , दिल की बड़ी सच्ची है ।
अकल की थोड़ी कच्ची है, बड़ी नादान है वो ।।
वो कुछ नहीं कहती पर बहुत कुछ ही कह जाती।
मौन से ही सब कुछ बतलाती, बड़ी नादान है वो।।
आते-जाते कभी तो वह रास्ते से ही भटक जाती ।
मासूमियत से सर्वत्र छा जाती, बड़ी नादान है वो ।।
मासूम दिलों की धड़कन वो स्वत: ही समझ जाती ।
पर खुद के भाव सदा ही छुपाती, बड़ी नादान है वो।।
अल्फ़ाज़ कम पड़ रहे उसकी खासियतें बताने को ।
‘अजित’ की बातों पे विश्वास करें, बड़ी नादान है वो।।
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 04 नवंबर, 2021.
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