बड़ी देर तक मुझे देखता है वो,
बड़ी देर तक मुझे देखता है वो,
कुछ कहता नहीं बस मुझको सोचता है वो।
मेरी ख़बर रखता है बाखूब जनाब,
मुझे मुझसे बेहतर जानता है वो।
मैं मांगती हूं सर झुका कर उसको,
मुझे भी दुआओं में मांगता है वो।
मेरे लिए तो इक आईना हो जैसे,
इस तरह मुझे पहचानता है वो।
मैं उसे अपना सब कुछ मान चुकी है,
बोलता नहीं तो क्या पर कुछ तो अपना मुझे मानता है वो।
ज्योति रौशनी