बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
सियासत से तबाही का,
जिस्म जले या मज़हब,
घर जले या शहर,
सियासत की कुर्सियाँ हमेशा मुस्कराती रहती हैं.!
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
सियासत से तबाही का,
जिस्म जले या मज़हब,
घर जले या शहर,
सियासत की कुर्सियाँ हमेशा मुस्कराती रहती हैं.!