बजट
बार- बार के बजट में,
हर बार गरीब फेल हुआ।
देख तमाशा दुनिया का ,
हर एक गरीब उदास हुआ।
बाजार में नहीं है कुछ सस्ता,
हर एक गरीब का भूख नीलाम हुआ ।
धंधा पानी हुआ है बंद,
सरकारी राशन का है इंतजार।
रोटी ,कपड़ा और मकान,
हर एक गरीब का बजट फेल हुआ।
गौतम साव