बच के रहना होगा घर के लोगों से
गज़ल
22…22….22….22…..22….2
घबराना मत जग में साथी गैरों से।
बच के रहना होगा घर के लोगों से।
बुरा आपका दुश्मन तब कर पायेगा,
घर का भेदी मिलता है जब औरों से।
फल पाना तो कर्म तुम्हें करना होगा,
मंजिल तक चलना ही होगा पैरों से।
कंकरीट के जंगल हमने उगा लिए,
चुका रहे हैं कीमत अपनी साँसों से।
दीन दुखी के चेहरों पर मुस्कान खिला,
धर्म बड़ा है जग के सारे धर्मों से।
भवसागर के बंधन से तर जायेगा,
कोशिश कर के देखो अच्छे कर्मों से
रोक सके कब प्रेमी उसका होने से,
लूट लिया दिल जिसने चोर निगाहों से।
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