बच्चों सम पौधे पालो
वृक्ष लगे हैं कितने सारे।
छोटे-छोटे प्यारे- प्यारे।।
फैली भू पर है हरियाली।
नवल पौध की महिमा आली।।
बच्चों सम पौधा हर पालो।
उचित खाद अरु पानी डालो।।
देख भाल है उत्तम करना।
सत्य वचन यह उर में भरना।।
हरित वृक्ष हैं सृष्टि बचाते।
समुचित वर्षा भी हैं लाते।।
वृक्षारोपण उर से करिए।
नहीं खोखला खाका भरिए।।
सच्चे रक्षक वृक्ष हमारे।
प्राण हमारे इनके सहारे।।
प्राण वायु ये अर्पित करते।
रोग अनेकों छिपकर हरते।।
नहीं यहाँ है कोई दुविधा।
पेड़ों से ही है सब सुविधा।।
विनय ओम की इक मानो।
नहीं कुल्हाड़ी इन पे तानो।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
शिक्षक व साहित्यकार