बच्चों सम्भल लो तुम
यही है उम्र तुम्हारी , जरा संवर लो तुम ।
यह वक्त फिर न आयेगा , बच्चों सम्भल लो तुम ।
यही है उम्र तुम्हारी———————-।।
समझा नहीं है जिसने , वक्त की फरियाद को ।
वह रोया है बहुत , याद करके वक्त को ।।
मिलता नहीं है कुछ भी , मेहनत किये बिना ।
हिम्मत के दम पर , झुका दिया है पहाड़ को ।।
बहाकै आज पसीना , किस्मत बना लो तुम ।
यह वक्त फिर न आयेगा , बच्चों सम्भल लो तुम ।।
यही है उम्र तुम्हारी —————————–।।
हाथों के हिंडोलों पे तुम , न मौज उड़ाओ ।
फूलों की सेज छोड़कर , मैदान में आओ ।।
किस्मत पे कर भरोसा, तुम न वक्त गंवाओ ।
सपनों की दुनिया छोड़कर , तुम होश में आओ ।।
सागर को पार करना है , किश्ती सजालो तुम ।
यह वक्त फिर न आयेगा , बच्चों सम्भल लो तुम ।।
यही है उम्र तुम्हारी —————————-।।
अपने गुरु की बात का , बुरा नहीं मानो ।
मां बाप से बड़ा इन्हे , भगवान तुम मानो ।।
इनके चरण की रज को छूकर , ज्ञान को पालो ।
अपमान नहीं इनका तुम, सम्मान पहचानो ।।
अँगुली पकड़कै इनकी , मंजिल को पालो तुम ।
यह वक्त फिर न आयेगा , बच्चों सम्भल लो तुम ।।
यही है उम्र तुम्हारी —————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर – 9571070847