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5 Dec 2016 · 1 min read

बच्चों पर दो कविताएं

बच्चों पर दो कविताएं
*अनिल शूर आज़ाद

1. गोली

रो उठता है बच्चा
अपनी कांच की गोली खोकर
मुस्कराता है बच्चा
एक मीठी गोली पाकर

बे-मौत मरता है बच्चा
कर्फ्यू में गोली खाकर।

2. आस

टकटकी लगाए
टीवी एंटीना को
ताकता है बच्चा
कि हवा का
कोई तेज़ झोंका

आकर गिरा दे, उस पतंग को
जो ऊपर अटकी है।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 953 Views
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